From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/10/10
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com
भाषा,शिक्षा और रोज़गार |
- यूपीःबीटेक का विशेष कैरी ओवर परीक्षा केंद्र बदला
- भीमराव अंबडेकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र इंग्लैंड में पढ़ेंगे सोशल इंजीनियरिंग
- यूपीःबीएड विद्यार्थी लगाएंगे राजभवन से गुहार
- अब मम्मी-पापा करेंगे मास्टर जी का मूल्यांकन
- एएमयू कैंपस मामले को दिल्ली ले जाएगा बिहार
- खेती पर शुरू होगा व्यावसायिक पाठ्यक्रम
यूपीःबीटेक का विशेष कैरी ओवर परीक्षा केंद्र बदला Posted: 09 Oct 2011 10:19 AM PDT सत्र 2004-05 से सत्र 2007-08 के बीच प्रवेश लेने वाले बीटेक छात्रों के विषय सेमेस्टर की विशेष कैरी ओवर परीक्षाओं का परीक्षा केंद्र बदल दिया गया है। महामाया प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबंद्ध कॉलेजों की परीक्षाएं जीबी नगर नोएडा स्थित महात्मा गांधी मिशन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में होनी थीं। छात्रों की संख्या अधिक होने के बाद अब नया केंद्र चंद्रिका देवी रोड बख्शी का तालाब (लखनऊ) स्थित जीसीआरजी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स बनाया गया है। विशेष कैरी ओवर परीक्षा के लिए गौतम बुद्ध प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के विद्यार्थियों के लिए लखनऊ में फैजाबाद रोड स्थित नार्दन इंडिया इंजीनियरिंग कॉलेज को केंद्र बनाया गया है। इस केंद्र में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दूसरा केंद्र महामाया प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के विद्यार्थियों के लिए बनाया गया था, यह केंद्र ही बदला गया है। परीक्षाएं दस अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक होनी थीं लेकिन अब परीक्षाएं 11 अक्टूबर से शुरू होंगी। दस अक्टूबर की परीक्षा 24 अक्टूबर को सम्पन्न कराई जाएगी। परीक्षादो पालियों में होगी। जीबीटीयू के अपर परीक्षा नियंत्रक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि परीक्षा केंद्र परीक्षार्थी वेबसाइट से नया परीक्षा कार्यक्रम देख सकते हैं। प्रवेश पत्र पुराने परीक्षा केंद्र के भी काम कर जाएंगे। परीक्षा केंद्र बदलने के बाद नए प्रवेश पत्र भी वेबसाइट पर डाल दिए गए हैं, छात्र वह भी डाउनलोड कर सकते हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,9.10.11)। |
भीमराव अंबडेकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र इंग्लैंड में पढ़ेंगे सोशल इंजीनियरिंग Posted: 09 Oct 2011 09:58 AM PDT शिक्षक व विद्यार्थी साथ-साथ इंग्लैंड जाकर सोशल इंजीनियरिंग पढ़ेंगे। यह मौका मिलेगा बाबा साहेब भीमराव अंबडेकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों व शिक्षकों को। इंग्लैंड के दौरे पर गए अंबेडकर विवि के कुलपति की पहल पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बीच सहमति भी बन गई है। शिक्षा के मामले में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय आने वाले समय में अन्य विश्र्वविद्यालयों से अलग होगा। यहां के विद्यार्थी इंग्लैंड जाकर वहां के विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई करेंगे। यही नहीं वहां के विद्यार्थियों के साथ रहकर खाली वक्त में उनके द्वारा किए गए कार्यो का भी अध्ययन करेंगे। यह मौका विद्यार्थियों के साथ ही विश्र्वविद्यालय के शिक्षकों को भी मिलेगा। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के समुचित विकास के उद्देश्य को लेकर पिछले वर्ष इंग्लैंड दौरे पर गए अंबेडकर विवि के कुलपति ने वहां के शिक्षाविदों से बातचीत की थी। लौटने के बाद विश्वविद्यालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को प्रस्ताव भेजा था। पिछले वर्ष के प्रस्ताव को इंग्लैंड भेज दिया गया। कितने विद्यार्थी इंग्लैंड जाएंगे और कितने शिक्षकों को वहां पढ़ाने का मौका दिया जाएगा इस पर अभी अंतिम फैसला इंग्लैंड के शिक्षाविदों के विश्वविद्यालय दौरे बाद किया जाएगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,9.10.11)। |
यूपीःबीएड विद्यार्थी लगाएंगे राजभवन से गुहार Posted: 09 Oct 2011 09:50 AM PDT शासन जल्द से जल्द बीएड परिणाम घोषित करने का आदेश जारी कर चुका है लेकिन राजधानी के कई कॉलेज ऐसे हैं जहां अभी तक प्रैक्टिकल तक नहीं हुए हैं। विद्यार्थी कई दिनों से कॉलेज और लखनऊ विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कहीं से प्रैक्टिकल की बाबत सही जानकारी नहीं मिल रही। छात्रों ने प्रैक्टिकल और परीक्षा परिणाम जल्द घोषित करवाने के लिए राजभवन जाने की तैयारी कर ली है। बीएड सत्र 2010-11 की लिखित परीक्षा बीते अगस्त में सम्पन्न हुई थी। कई कॉलेजों ने परीक्षा के पूर्व ही प्रैक्टिकल करा लिए थे जबकि कुछ ने परीक्षा के तुरंत बाद प्रैक्टिकल करा डाले। तीन-चार कॉलेज ऐसे भी हैं जहां अभी तक प्रैक्टिकल नहीं कराए गए हैं। विद्यार्थी लगातार कॉलेज प्रशासन से प्रैक्टिकल कराने के लिए दबाव डाल रहे हैं लेकिन कॉलेज शिक्षकों की सूची न मिलने का हवाला देकर गेंद लविवि के पाले में फेंक रहे हैं। लविवि में शिकायत की गई तो वहां शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो.अखिलेश चौबे ने बताया कि सूची भेज दी गई है अब कॉलेज ही जाने। विद्यार्थियों का आरोप है कि लविवि में शिकायत करो तो शिकायत करने वाले सभी विद्यार्थियों के नाम कॉलेज प्रशासन को दे दिए जाते हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,9.10.11)। |
अब मम्मी-पापा करेंगे मास्टर जी का मूल्यांकन Posted: 09 Oct 2011 08:13 AM PDT आपके बच्चे का भविष्य बनाने के लिए गुरुजी उसे क्या और कैसे पढ़ा रहे हैं? यह सब सिर्फ उनकी मर्जी पर ही नहीं होगा। बच्चों के माता-पिता भी उसमें दखल दे सकेंगे। देखेंगे कि पढ़ाई के कायदे-कानून क्या हैं? खास तौर पर वे यह जांचेंगे कि पूरे साल बच्चों का समग्र मूल्यांकन कैसे हो रहा है। इस काम के लिए खुद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ही वालंटियर के रूप में पैरेंट एडवोकेट नाम से एक राष्ट्रीय नेटवर्क खड़ा कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक सीबीएसई की पहल पर पैरेंट एडवोकेट ही देश भर में योग्य अभिभावकों का एक ऐसा समूह तैयार करेगा, जो अपने-अपने राज्य में बच्चों के सतत-समग्र मूल्यांकन की निगरानी करेगा। उन्हें इस निगरानी की ट्रेनिंग सीबीएसई देगा। इस समूह को खड़ा करने के लिए सीबीएसई ने बच्चों की पढ़ाई में योगदान देने वाले अभिभावकों से ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में स्वयंसेवक की भूमिका वाले इन अभिभावकों में उन्हें तरजीह दी जाएगी, जिन्हें अंग्रेजी व हिंदी भाषा का न सिर्फ अच्छा ज्ञान हो, बल्कि उनमें दूसरों को समझने-समझाने की बेहतरीन कूबत भी हो। सीबीएसई ने आवदेकों के लिए एक प्रारूप भी जारी किया है। जिसमें उन्हें सूचना संचार तकनीक, विचारों के आदान-प्रदान में भाषा पर पकड़, चुनौतियों से जूझने का जज्बा और वे किन क्षेत्रों में इस पर काम करना चाहेंगे, की जानकारी देना है। ऐसे स्वयंसेवकों को दूसरे अभिभावकों को प्रेरित करने के लिए कम से कम तीन तरीकों के बारे में भी आवेदन में बताना होगा। सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी कहते हैं, सारे आवेदन आने के बाद उनमें से काबिल अभिभावकों का चयन कर सीबीएसई उनसे खुद संपर्क साधेगा। बाद में उन्हें प्रशिक्षित करेगा और स्कूली पढ़ाई में बतौर वालंटियर (स्वयंसेवक) उनकी मदद लेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा जैसे मामले में सिर्फ सरकारी अधिकारी ही अकेले सारी निगरानी नहीं रख सकता। नई पहल से बोर्ड को अभिभावकों के और करीब ले जाएगी। दरअसल, सीबीएसई को भी यह खयाल यूं नहीं आया। दसवीं बोर्ड परीक्षा की अनिवार्यता को खत्म करने के साथ स्कूली पढ़ाई में शुरू हुए सतत समग्र मूल्याकंन (सीसीई) के तजुबरें ने इस नई सोच को जन्म दिया। बोर्ड खत्म करने के पीछे मंशा बच्चों पर बोर्ड परीक्षा का तनाव को खत्म करना और सभी पहलुओं पर अलग-अलग तरीके से पूरे साल उनका मूल्याकंन करना था, लेकिन वैसा हुआ नहीं। सीबीएसई के पास भी शिकायतों का अंबार लगा। तह में जाने पर पता चला कि कई मामलों में शिक्षकों ने सीसीई को खुद ठीक से नहीं समझा। मसलन, सीसीई के तहत यह जरूरी नहीं कि सभी बच्चों को व्यक्तिगत प्रोजेक्ट दिए जाएं। जो बच्चे कोई प्रोजेक्ट अकेले नहीं कर सकते, उन्हें कुछ बच्चों की एक टीम को दिया जा सकता है। उस टीम में भी किसी बच्चे की समझ और प्रतिभा का व्यक्तिगत आकलन किया जा सकता है। इससे शिक्षक का भी बोझ कम हो सकता है(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,9.10.11)। |
एएमयू कैंपस मामले को दिल्ली ले जाएगा बिहार Posted: 09 Oct 2011 07:49 AM PDT बिहार के किशनगंज क्षेत्र में एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) के आफ कैंपस सेंटर के लिए जमीन के मामले में राज्य सरकार ने आक्रामक मुद्रा अख्तियार कर ली है। बिहार के मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही ने एएमयू कुलपति प्रो.पीके अब्दुल अजीज पर धोखाधड़ी और राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उनकी भूमिका की सीबीआइ जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, इस संदर्भ में वे जल्द ही केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से भी मिलने वाले हैं। शाही ने यहां कहा,कुलपति ने भारत सरकार की स्वीकृति प्राप्त किये बिना एएमयू सेंटर के लिए जमीन वास्ते सरकार को प्रस्ताव दिया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रस्ताव को 13 दिनों के अंदर कैबिनेट ने स्वीकृति दी। उसके बाद सरकार ने कोचाधामन में 243 एकड़ जमीन भी चिह्नित की जिस पर कुलपति ने रजामंदी भी दे दी। एकरारनामे के वक्त वे दूसरी जमीन देने की मांग करने लगे। वह उस जमीन की मांग कर रहे हैं जो भूदान में दी हुई है, जिसके 70 फीसदी हिस्से पर अफजल हुसैन का अवैध कब्जा है। अफजल उक्त जमीन को दान नहीं कर रहे, उसका मुआवजा चाहते हैं। सरकार ने 30 सितंबर 2011 को कुलपति को एक पत्र लिखकर सारा विवरण दिया है मगर उसका कुलपति ने अब तक जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा,एएमयू कुलपति प्रो. अजीज का कार्यकाल जनवरी 2012 में समाप्त हो रहा है। उनके खिलाफ कई आरोपों की सीबीआइ जांच हो रही है। एएमयू के विजिटर (राष्ट्रपति) ने कुलपति के स्तर से नियुक्ति के अधिकार पर रोक लगा रखी है। लिहाजा किशनगंज जमीन मामले में कुलपति की संदेहास्पद भूमिका भी सीबीआइ जांच का बिन्दु होना चाहिए। इसी मकसद से वे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से मिलना चाहते हैं। यह भी जानने की कोशिश की जायेगी कि बिहार में एएमयू सेंटर के लिए कुलपति ने विजिटर से स्वीकृति ले रखी है अथवा नहीं?(दैनिक जागरण,पटना,9.10.11) |
खेती पर शुरू होगा व्यावसायिक पाठ्यक्रम Posted: 09 Oct 2011 07:38 AM PDT बीते दो साल से स्कूलों से विश्वविद्यालयों तक व्यावसायिक शिक्षा का अलग ढांचा खड़ा करने में जुटी सरकार अब इसे अगले शैक्षणिक सत्र 2012 से शुरू कर पाएगी। वजह यह है कि पॉलिटेक्निक व इंजीनियरिंग कॉलेजों में इसकी पढ़ाई के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम तो तैयार हो गए हैं, लेकिन शैक्षिक पाठ्यक्रमों का मामला अब भी लटका है। इस बीच सरकार ने अगले दो वर्षो में खेती के लिए भी अलग से व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने की बात कही है। पॉलिटेक्निक व इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम की तैयारी पूरी होने के साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार को यहां राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा पात्रता ढांचा [एनवीईक्यूएफ] को लांच भी कर दिया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत नौंवीं कक्षा से विश्वविद्यालय स्तर तक सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व डिग्री दिया जाना है। लेकिन अभी तक सिर्फ पॉलिटेक्निक व इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम ही तैयार हो पाए हैं। उन्होंने माना कि इन दोनों स्तरों के लिए अभी भी शैक्षिक [अकादमिक] पाठ्यक्रम तैयार नहीं हो सकें हैं। लेकिन अगले शैक्षिक सत्र 2012 तक यह तैयार हो जाएगा। सिब्बल ने फिर दोहराया कि इस ढांचे को खड़ा करने का एक बड़ा मकसद यह भी है कि 12वीं तक की व्यवसायपरक शिक्षा हासिल करने के बाद ही छात्रों को आसानी से रोजगार मिल सके। इस मौके पर उन्होंने खेती के लिए व्यावसायिक पढ़ाई को राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा पात्रता ढांचे के दायरे में लाए जाने की पैरवी की। उन्होंने खेती के लिए व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को 2013 तक शुरू करने की भी बात कही है। जहां तक स्कूलों में नौंवी कक्षा से व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने का सवाल है, तो यह अभी हरियाणा व पश्चिम बंगाल में चल रहे पायलट प्रोजेक्ट तक ही सीमित है। बताते हैं कि पायलट प्रोजेक्ट के तजुर्बो से सीखने के साथ ही इसे भी 2012 से शुरू कर दिया जाएगा । इस मौके पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद [एआइसीटीई] के चेयरमैन प्रो एसएस मंथा ने भरोसा दिया कि एनवीईक्यूएफ के तहत शिक्षा देने वाले सभी संस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त होंगे। लिहाजा उनके डिप्लोमा व डिग्री पर सवाल नहीं उठाए जा सकेंगे(जागरण,दिल्ली,9.10.11)। |
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Palash Biswas
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