From: nawal kumar <nawal.buildindia@gmail.com>
Date: 2011/10/16
Subject: महादलित के तर्ज पर महासवर्ण की तैयारी
To: secy@prdbihar.org
respected sir,
please read this report only on www.apnabihar.org
with regards,
nawal
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अपना बिहार और राज्य में प्रकाशित विभिन्न अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार कल दिनांक14 अक्टूबर सितम्बर 2011 को घटित घटनाओं की संख्या
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नवल की पांच कवितायें (1) ठुंठे पेड़ के शिखर पर, एक नया पीपल उग आया है, पेड़ का ठुंठापन अब दूर हो गया है, अखबारों ने ऐसा दावा किया है, पेड़ की शिकायत है कि, उसकी जड़ें अब उखड़ने लगी हैं। (2) गांव में दो मन्दिर है, एक में लोग पूजा करते हैं, दूसरे का इस्तेमाल बच्चे करते हैं, लोगों का मन्दिर भव्य है, आकर्षक है, भारी चढावा भी जमा होता है, बच्चों का मंदिर बदहाल है, सुना है वहां, निर्जीव मूर्दे नहीं रहते। (3) बीच सड़क कपड़ा बदलने, अर्द्धनग्न हो स्नान करने, सार्वजनिक रुप से हमबिस्तर होने वाली, गरीब महिलायें अधिक इज्जतदार हैं, उन महिलाओं से, जो अट्टालिकाओं में, रोज अपना पार्टनर बदलती हैं। (4) मरते समय उसने कहा था, वह जिन्दगी का मुख चूमना चाहता है, जिन्दगी उसके पास आयी, लेकिन दरवाजे से ही लौट गई, क्योंकि, मरने वाले ने पहले ही मूंह फ़ेर लिया था। (5) इक्कीसवीं सदी के कुरुक्षेत्र में, सारथि बने पार्थ, महान धनुर्धर कृष्ण को, धर्मयुद्ध की शिक्षा दे रहे हैं, कृष्ण लाचार, पार्थ भी लाचार, गीता भी अब असरकारक नहीं रही, सुना है, अब लड़ाई के मायने बदल गये हैं। कुछ कही कुछ अनकही सी लगती है दिन सूने रातें सूनीं, ये जिन्दगी सूनी सूनी सी लगती है, व्क्त की बेरहमी है, कुछ कही कुछ अनकही सी लगती है। इमारतों के पिछवाड़े , एक श्मशान और एक कब्रिस्तान भी है, सुना है वहां आजकल, बेचारी मौत भी बुझी बुझी सी रहती है। जिन्दगी को युं ही प्यार करना, आसान नहीं होता हरदम, कभी कभी अपनों की, पाक वफ़ा भी भीतरघात सी लगती है। सुपूर्द-ए-खाक हो जाना मजबूरी है, जीते जी जिनके लिये, सुना है उनके टूटे कब्र में भी, पेट में एक आग सी जलती है। गढने वालों ने गढ दिये हैं, नाटक में कुछ और अनजने किरदार, अपनी हालत अब हाशिये पर, सोई बेजान ठठरियों सी लगती है। लोग कहते हैं सुबह के सपने, अक्सर सच हो जाया करते हैं, सपने टूटते हैं तो, टूटने की आवाज कुछ अपनी सी लगती है। नदी में बह रहा अथाह पानी, अब जिनकी आंखों में उतर आया है, जीवन जीना या फ़िर मर जाना, सब एक ही बात सी लगती है। "नवल" अच्छा है कि समय रहते, तुमने कांटों से दोस्ती कर ली, फ़ूलों के सहारे जिन्दगी, कभी अपनी कभी बेगानी सी लगती है। संपादकीय – निंदनीय है प्रशांत भूषण पर किया गया हमला दो दिन पहले स्वयं को श्री राम सैनिक बताने वाले तीन युवकों ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में अवस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के कक्ष में घुसकर उनके साथ मारपीट की। घटना निंदनीय है। निंदनीय इसलिये है कि श्री भूषण ने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखी थी। विदित है कि कुछ दिनों पहले श्री भूषण ने वाराणसी में एक कार्यक्रम के दौरान जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराये जाने की बात कही थी। बताया जा रहा है कि श्री राम सैनिकों ने उनके इसी बयान के विरोध में उनके साथ मारपीट की। हालांकि अब ताजा हालात यह है कि टीम अन्ना के एक महत्वपूर्ण सदस्य किरण बेदी ने भी श्री भूषन के विचारों से स्वयं को अलग कर लिया है। ट्विटर पर लिखे अपने संदेश में इन्होंने स्पष्ट लिखा है कि उनके सहयोगी श्री भूषण पर किया गया हमला निंदनीय है और जहां तक जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह का सवाल है तो इस संबंध में व्यक्त किये गये विचार श्री भूषण के निजी विचार हैं। उधर अन्ना हजारे ने भी श्री भूषण पर हुए हमले की निंदा की। लेकिन इन्होंने जम्मू-कश्मीर के सवाल पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह महज संयोग नहीं है। वास्तविकता यह है कि श्री भूषण के बयान ने टीम अन्ना के सदस्यों के बीच आपसी खाई बढ गई है। वैसे हिसार में कांग्रेस की खिलाफ़ चुनावी मैदान में उतरने वाली टीम अन्ना की आलोचना भी टीम एक महत्वपूर्ण सदस्य संतोष हेगड़े ने किया है। ताजे हालातों के अनुसार टीम अन्ना की साख और अस्तित्व दोनों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। एक ओर आरएसएस के साथ रिश्ते उजागर होने से टीम अन्ना की हवा निकल चुकी है। वही प्रशांत भूषण के बयान से बहुसंख्यक हिन्दुओं में टीम अन्ना के प्रति विचारों में परिवर्तन आया है। वैसे सबसे बड़ा सवाल सिविल सोसायटी के लोगों के लिये है। यदि हिसार में कांग्रेस की जीत होती है तो निश्चित तौर पर सिविल सोसायटी को अपनी इज्जत गंवानी होगी। इसके अलावे जो सबसे बड़ा सवाल है, वह है देश में लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का। अब तो हालत यह हो गई है कि सुप्रीम कोर्ट के परिसर में भी प्रशांत भूषण जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता सुरक्षित नहीं हैं।
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सुशासन बाबू के नाम खुला पत्र |
परम सौभाग्यक विषय थीक जे बिहार शताब्दी वर्ष में राज्य सरकार द्वारा मैथलीक लुप्तप्राय गीत एवं धुन केर दस्तावेजीकरणक स्वीकृति देल गेल। एहि दस्तावेज में मैथलीक विविध प्रकारक संस्कार गीत, व्यवहार गीत, ॠतु प्रधान गीत आ पाबनि तिहारक गीत भंडार सौं 50 अलग-अलग धुन में मिथिलाक लोक कण्ठ में रचल बसल किन्तु लुप्तप्राय गीत आ धुन के संकलन एमपीथ्री आ ओहि गीतक पुस्तिका प्रकाशित करबाक लक्ष्य निर्धारित अछि। ई दस्तावेज मिथिलाक भावी पीढीक लेल मैथिली गीत परंपराक बहूमूल्य धरोहर बनए तें सर्वोत्तम तैयारी हेतु गीत, आपन स्वर एवं संगीत संबंधी अपनेक सुझाव सादर आमंत्रित करै छी। हृदय नारायण झा कलाकार( मैथिली लोकगीत), आकाशवाणी, पटना पता- सांस्कृतिक संवाददाता, "आज" हिन्दी दैनिक, फ़्रेजर रोड, पटना,, मोबाइल नं- 9308765099, ईमेल –hridaysaroj26@gmail.com |
महत्वपूर्ण संदेश |
बिहार में आंकड़े भी झुठ बोलते हैं |
विशेष रिपोर्ट – महादलित के तर्ज पर महासवर्ण की तैयारी, हरकत में आया सवर्ण आयोग |
शिखर पर पहूंचा बिहार का विकास पटना (अपना बिहार, 16 अक्टूबर 2011) – बिहार का जीडीपी दर 14.5 फ़ीसदी हो गया है। यह पूरे देश में सबसे अधिक है। दूसरे स्थान पर तामिलनाडु और तीसरे स्थान पर छत्तीसगढ काबिज हो गया है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार विकास के मामले में बिहार एक बार फ़िर सिरमौर हो गया है। सूबे के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने रिपोर्ट पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि सूबे का विकास अब स्थायित्व को प्राप्त करने लगा है। यदि विकास दर यही बना रहा तो वर्ष 2015 में बिहार विकसित राज्य की श्रेणी में आ जायेगा। |
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